दिल्ली वायु प्रदूषण सुप्रीम कोर्ट
दिल्ली
में
वायु
प्रदूषण
की
समस्या
को
लेकर
सुप्रीम
कोर्ट
ने
बार-बार
चिंता
व्यक्त
की
है।
कोर्ट
का
उद्देश्य
यह
सुनिश्चित
करना
है
कि
सरकार
और
संबंधित
एजेंसियां
प्रदूषण
को
कम
करने
के
लिए
प्रभावी
कदम
उठाएं।
सुप्रीम
कोर्ट
ने
समय-समय
पर
विभिन्न
निर्देश
दिए
हैं, दिल्ली
में
वायु
प्रदूषण
पर
सुप्रीम
कोर्ट
ने
कई
महत्वपूर्ण
टिप्पणियां
और
आदेश
दिए
हैं,
जिनमें
नीति
निर्माण
और
सख्त
क्रियान्वयन
पर
जोर
दिया
गया
है।
1.
स्टबल
बर्निंग
(पराली
जलाने)
पर
रोक:
कोर्ट
ने
पराली
जलाने
को
रोकने
के
लिए
हरियाणा,
पंजाब
और
उत्तर
प्रदेश
की
सरकारों
को
सख्त
निर्देश
दिए
हैं।
उन्होंने
किसानों
को
वैकल्पिक
उपाय
उपलब्ध
कराने
को
कहा
है।
3. फैक्ट्रियों
और
निर्माण
स्थलों
पर
नियम:
कोर्ट
ने
निर्माण
स्थलों
और
औद्योगिक
इकाइयों
में
प्रदूषण
नियंत्रण
के
लिए
सख्त
मानदंड
लागू
करने
के
आदेश
दिए
हैं।
4. ग्रेप (GRAP) लागू करना:
सुप्रीम
कोर्ट
ने
ग्रेडेड
रिस्पांस
एक्शन
प्लान
(GRAP) का
पालन
करने
पर
जोर
दिया,
जिससे
वायु
गुणवत्ता
के
अनुसार
तत्काल
कदम
उठाए
जा
सकें।
5. सरकार
की
जिम्मेदारी:
सुप्रीम
कोर्ट
ने
बार-बार
केंद्र
और
राज्य
सरकारों
को
प्रदूषण
से
निपटने
के
लिए
ठोस
कार्ययोजना
प्रस्तुत
करने
के
निर्देश
दिए
हैं।
6. क्लीन
एनर्जी
पर
जोर:
सुप्रीम
कोर्ट
ने
कोयले
से
चलने
वाले
थर्मल
पावर
प्लांट्स
पर
निर्भरता
कम
करने
और
हरित
ऊर्जा
(ग्रीन
एनर्जी)
को
बढ़ावा
देने
का
सुझाव
दिया
है।
दिल्ली-एनसीआर
में
बिजली
संयंत्रों
के
लिए
प्रदूषण
नियंत्रण
उपकरण
अनिवार्य
किए
गए
हैं।
7. सार्वजनिक
परिवहन
सुधार:
कोर्ट ने दिल्ली और आसपास के इलाकों में सार्वजनिक परिवहन को बेहतर करने पर जोर दिया
है। इसमें इलेक्ट्रिक बसों और मेट्रो सेवाओं का विस्तार शामिल है ताकि निजी वाहनों की संख्या कम हो।
. पानी
का
छिड़काव
और
धूल
नियंत्रण:
सुप्रीम
कोर्ट
ने
दिल्ली
में
सड़कों
पर
पानी
के
छिड़काव,
वैक्यूम
क्लीनिंग
और
धूल
को
नियंत्रित
करने
के
लिए
सख्त
कदम
उठाने
को
कहा।
निर्माण
स्थलों
पर
एंटी-स्मॉग
गन
का
इस्तेमाल
अनिवार्य
किया
गया
है।
9. फाइन
और
दंड
का
प्रावधान:
कोर्ट
ने
प्रदूषण
फैलाने
वालों
पर
जुर्माने
और
सख्त
दंड
का
प्रावधान
किया
है।
इसमें
निर्माण
कंपनियों,
फैक्ट्रियों
और
पराली
जलाने
वालों
पर
भारी
जुर्माने
का
आदेश
दिया
गया।
10. स्मॉग टावर और नई तकनीकें:
सुप्रीम
कोर्ट
ने
सरकार
से
प्रदूषण
नियंत्रण
के
लिए
नई
तकनीकों
को
अपनाने
की
सिफारिश
की।
इसके
तहत
दिल्ली
में
स्मॉग
टावर
लगाए
गए
हैं,
जो
हवा
को
फिल्टर
करते
हैं।
11. लोगों
से
सहयोग
की
अपील:
सुप्रीम
कोर्ट
ने
नागरिकों
से
भी
अपील
की
है
कि
वे
जिम्मेदारी
के
साथ
कार्य
करें।
उदाहरण
के
लिए,
कार
पूलिंग,
सार्वजनिक
परिवहन
का
उपयोग,
और
कचरा
न जलाने
जैसे
कदम
उठाए
जाएं।
12. ग्रीन वार रूम और हेल्पलाइन:
दिल्ली
सरकार
को
निर्देश
दिया
गया
कि
ग्रीन
वार
रूम
और
हेल्पलाइन
को
सक्रिय
रखा
जाए,
ताकि
लोग
प्रदूषण
संबंधी
शिकायतें
दर्ज
करा
सकें
और
कार्रवाई
हो
सके।
13. स्वास्थ्य के अधिकार पर जोर:
सुप्रीम
कोर्ट
ने
कहा
कि
स्वच्छ
हवा
में
सांस
लेना
हर
नागरिक
का
मौलिक
अधिकार
है।
कोर्ट
ने
कहा
कि
सरकारों
को
स्वास्थ्य
के
अधिकार
की
रक्षा
के
लिए
ठोस
और
दीर्घकालिक
समाधान
लागू
करना
होगा।
14. सिस्टम
की
लापरवाही
पर
फटकार:
कई
बार
सुप्रीम
कोर्ट
ने
केंद्र
और
राज्य
सरकारों
को
लापरवाही
के
लिए
फटकार
लगाई
है।
उन्होंने
कहा
कि
"प्रदूषण
से
निपटने
में
सिस्टम
की
सुस्ती
जनता
के
जीवन
को
खतरे
में
डाल
रही
है।"
15. दीर्घकालिक
समाधान:
सुप्रीम
कोर्ट
ने
प्रदूषण
से
निपटने
के
लिए
एक
स्थायी
और
दीर्घकालिक
नीति
बनाने
की
बात
कही
है।
इसमें
प्रदूषण
फैलाने
वाले
स्रोतों
की
निगरानी
और
सख्त
नियम
लागू
करने
की
जरूरत
बताई
गई।
सुप्रीम
कोर्ट
का
रुख
स्पष्ट
है:
प्रदूषण
से
निपटने
में
सरकार,
उद्योग,
और
आम
जनता
को
मिलकर
काम
करना
होगा।
केवल
तात्कालिक
कदम
पर्याप्त
नहीं
हैं;
दीर्घकालिक
समाधान
और
सख्त
नियम
ही
इस
समस्या
को
कम
कर
सकते
हैं। हाल
ही
में,
कोर्ट
ने
सर्दियों
में
बढ़ते
प्रदूषण
को
देखते
हुए
आपातकालीन
बैठकें
बुलाने
और
समाधान
निकालने
का
आदेश
दिया।
इस
संदर्भ
में,
सुप्रीम
कोर्ट
ने
प्रदूषण
पर
नियंत्रण
के
लिए
जनभागीदारी
और
जिम्मेदारीपूर्ण
शासन
पर
जोर
दिया
है। कोर्ट
का
कहना
है
कि
"वायु
प्रदूषण
का
मुद्दा
आम
जनता
के
स्वास्थ्य
और
जीवन
के
अधिकार
से
जुड़ा
है।"
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