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Indian government should ensure the safety of minority community, memorandum to the President and others

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  बांग्लादेश में हो रहे अत्याचार के खिलाफ लोगों का फूटा गुस्सा, हिंदुओं की करें सुरक्षा

 बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के विरोध में रविवार को विभिन्न हिंदू एवं सामाजिक संगठनों के अलावा साधु-संतों एवं महिलाएं सड़कों पर उतर पड़ीं। शहर के मुख्य मार्गों से जुलूस निकालते हुए ये रेस्ट हाउस पहुंचे और डीसी को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन के माध्यम से राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, संयुक्त राष्ट्र संघ, संयुक्त राष्ट्र संघ मुख्यालय, न्यूयॉर्क, अमेरिका, मानव अधिकार समिति, राज्यपाल हरियाणा मुख्यमंत्री हरियाणा व दूतावास से मांग की गई है कि भारत सरकार इस मामले को प्राथमिकता से उठाए और बांग्लादेश सरकार के साथ कूटनीतिक चर्चा कर हिंदू सहित सभी अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करे। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग और महासचिव इस विषय पर तत्काल हस्तक्षेप करें और बांग्लादेश पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाएं। भारत में आने वाले सभी अल्पसंख्यक सहित हिंदू शरणार्थियों को सुरक्षा और पुनर्वास प्रदान करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। बांग्लादेश में धार्मिक स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार कानून का सख्ती से पालन कराया जाए। ज्ञापन में कहा कि इस्कॉन मंदिर के संत श्री चिन्मय कृष्ण दास को शीघ्र रिहा किया जाए।

 बांग्लादेश में रह रहा अल्पसंख्यक सुमदाय असुरक्षित

 प्रदर्शनकारियों को संबोधित करने वालों में प्राचीन पंचवटी हनुमान मंदिर के महंत श्री 1008 कामता दास महाराज व हरि बोल आश्रम के महंत ज्ञानजी महाराज ने कहा कि भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में 5 अगस्त 2024 को लोकतांत्रिक तरीके से कुछ माह पहले चुनी हुई शेख हसीना सरकार पर उस देश के कुछ असामाजिक तत्वों, कट्टरपंथियों ने अलोकतांत्रिक तरीके से कब्जा कर लिया और प्रधानमंत्री शेख हसीना को अपना ही देश छोड़ना पड़ा। अन्य देशों में शरण लेने के लिए भटकना पड़ा और आरक्षण के नाम पर शुरू हुआ आंदोलन कट्टरपंथियों के हाथों में चला गया। धर्म के नाम पर दंगे भड़काए गए। वहां का अल्पसंख्यक समुदाय जैन, बौद्ध, सिक्ख, ईसाई व हिंदू सभी आज असुरक्षित और डर के साय में है।

 हिंदू व उनके धार्मिक स्थलों कोबनाया जा रहा निशाना

राष्ट्रीय बजरंग दल के क्षेत्रीय महामंत्री मनीष भारद्वाज व 52 पालों के अध्यक्ष अरुण जेलदार ने कहा कि वहां हो रहे दंगों में विशेष कर हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है। इन हमलों से न केवल उनकी धार्मिक स्वतंत्रता और मौलिक अधिकार खतरे में है। बल्कि यह एक गहरी मानवीय त्रासदी बन गई है। कार्यकारी सरकार अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर पा रही है। ऐसा लग रहा है कि वहां का प्रशासन कट्टरपंथियों के हाथ में है। सेना व पुलिस प्रशासन अल्पसंख्यकों को सुरक्षा प्रदान करने के बजाय कट्टरपंथियों के सहयोगी बने हुए हैं। अल्पसंख्यकों की सरेआम हत्या की जा रही है और धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। महिलाओं के साथ दुराचार हो रहा है। अल्पसंख्यकों के पूजा स्थलों को नष्ट किया जा रहा है।

 कट्टरपंथी समाज के कुछ लोगों ने पूरे देश का माहौल किया है खराब

 बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार व ज्यादतियों के संबंध में हिंदू चेतना मंच पटौदी के तत्वाधान में द्रोपदी मुर्मू, महामहिम राष्ट्रपति नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री, महामहिम महासचिव, संयुक्त राष्ट्र संघ संयुक्त राष्ट्र संघ मुख्यालय, न्यूयॉर्क, अमेरिकामानवाधिकार समिति (अंतरराष्ट्रीय, भारत, हरियाणा), हरियाणा के राज्यपाल, मुख्यमंत्री और बांग्लादेश दूतावास नई दिल्ली के नाम तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा गया। इस अवसर पर भारी संख्या में पटौदी सहित आसपास के गांव के लोग उपस्थित रहे। ज्ञापन देने से पूर्व सभी लोग पुरानी कचहरी के पास एकत्रित हुए। वहां से जुलूस की शक्ल में लघु सचिवालय तक नारेबाजी करते हुए पहुंचे। पहुंचे। स्वामी सुशील गिरी सच्चिदानंद ने कहा कि बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार व ज्यादतियों को पूरा विश्व देख रहा है कि किस तरह कट्टरपंथी समाज के कुछ लोगों ने पूरे देश का माहौल खराब कर दिया और अब हिंदुओं को चुन चुन कर मारा जा रहा है। यह घटना पूरे विश्व को शर्मसार करने वाली है।




 



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